किसी भी कंपनी का फंडामेंटल कैसे चेक करें?

नमस्कार दोस्तों! क्या आप भी किसी भी कंपनी का फंडामेंटल कैसे चेक करें, इसकी खोज में हैं? तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं। क्योंकि अगर आप शेयर के फंडामेंटल एनालिसिस किए बिना शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं, तो पैसा डूबने के चांसेस काफी ज्यादा होते हैं।

शेयर बाजार में ₹1 के भी शेयर मिल जाते हैं और ₹1000 के भी। अगर आप सिर्फ शेयर की कम कीमत देखकर पैसा लगाते हैं, तो 99% चांसेस हैं कि पैसा डूब सकता है। ऐसे में लोग कहते हैं कि शेयर बाजार जुआ है और इसमें किसी को पैसा नहीं मिलता।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें फंडामेंटल एनालिसिस करना नहीं आता। इसे सीखना बहुत आसान है, और आज मैं आपको इसे और भी सरल तरीके से समझाऊंगा ताकि आपको आसानी से समझ आ सके कि किसी शेयर का फंडामेंटल कैसे चेक करते हैं।

किसी भी कंपनी का फंडामेंटल कैसे चेक करें?

शेयर का फंडामेंटल कैसे चेक करें?

सबसे पहले यह जान लेते हैं कि किसी भी शेयर का फंडामेंटल कैसे चेक कर सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ वेबसाइट्स पर जाना होगा, जहाँ आप किसी भी शेयर का फंडामेंटल आसानी से चेक कर सकते हैं।

यहाँ शेयर के फंडामेंटल चेक करने के लिए कुछ वेबसाइट्स दी गई हैं:

1. Screener.in: Screener.in एक बहुत ही बढ़िया वेबसाइट है, जहाँ आप किसी भी शेयर के फंडामेंटल्स आसानी से चेक कर सकते हैं।

2. Tickertape: Tickertape नाम की एक एप्लीकेशन भी आती है, जिसे आप डाउनलोड करके मोबाइल में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप वेबसाइट पर जाना चाहें, तो वहाँ पर भी शेयर के फंडामेंटल्स चेक कर सकते हैं।

3. Moneycontrol: Moneycontrol पर आप शेयर की न्यूज़ पढ़ सकते हैं, जिससे आपको शेयर बाजार के बारे में जानकारी मिलती रहती है। यहाँ आप शेयर के फंडामेंटल्स भी चेक कर सकते हैं।

इन तीनों वेबसाइट्स की एप्लीकेशंस भी उपलब्ध हैं, जिन्हें आप Google Play Store से डाउनलोड करके अपने मोबाइल में इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

किसी भी कंपनी का फंडामेंटल कैसे चेक करें?

1. Industry Analysis करे
2. Financial Performance चेक करे
3. Financial Ratios चेक करे
4. Leadership कोन है
5. Debt (कंपनी का कर्ज)
6. Cash Flow चेक करे
7. Dividend History चेक करे
8. Competition चेक करे
9. Annual Report चेक करे
10. Shareholders Patterns चेक करे

तो चलिए, अब इस 10 तरीके को और अच्छे से समझ लेते है। 

 

1. Industry Analysis करे:

किसी भी कंपनी के फंडामेंटल चेक करने से पहले आपको उसकी इंडस्ट्री एनालिसिस करनी होगी। इसमें आपको देखना होगा कि कंपनी क्या काम कर रही है और किस-किस सेक्टर में काम कर रही है।

जैसे: Reliance Industries कई सेक्टर्स में काम करती है, जैसे Petrochemicals, Refining and Oil & Gas, Retail, Telecommunications (Jio), Digital Services, Media & Entertainment, Textiles आदि।

इससे आपको यह समझने में मदद मिलती है कि कंपनी किन क्षेत्रों में काम कर रही है। अगर आप जानना चाहते हैं कि कौन-सी कंपनी क्या काम कर रही है, तो गूगल पर उस कंपनी का नाम लिखें और उसकी ऑफिशल वेबसाइट पर जाएं। वहाँ आपको पता चल जाएगा कि कंपनी किन सेक्टर्स में सक्रिय है।

इसके अलावा, आपको कंपनी का मार्केट कैप भी देखना चाहिए। किसी कंपनी का मार्केट कैप उसकी कुल कीमत होती है। यह बताता है कि अगर हम कंपनी के सारे शेयर खरीदें, तो हमें कितने पैसे देने होंगे।

उदाहरण के लिए, अगर एक कंपनी के पास 1 लाख शेयर हैं और हर शेयर की कीमत 100 रुपये है, तो मार्केट कैप 1 करोड़ रुपये होगा। यानी, कंपनी की कुल कीमत 1 करोड़ रुपये है।

मार्केट कैप से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि कंपनी कितनी बड़ी है। अगर मार्केट कैप ज्यादा है, तो कंपनी बड़ी है, और अगर कम है, तो वह छोटी मानी जाती है।

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2. Financial Performance चेक करे:

आपने अब यह जान लिया कि कंपनी क्या काम करती है, तो अब यह जानना जरूरी है कि कंपनी कितना कमा रही है और उसका मुनाफा कितना हो रहा है। कंपनी का मुनाफा बढ़ रहा है या घट रहा है, यह सब चीजें देखना जरूरी हैं।

– Revenue (कमाई): कंपनी ने अपनी चीजें या सर्विसेज बेचकर जो कुल पैसे कमाए, उसे रेवेन्यू कहते हैं। यह कंपनी की कुल कमाई होती है, बिना किसी खर्चे को घटाए।

– Profit (फायदा): जब कंपनी अपने सभी खर्चे (जैसे कच्चा माल, कर्मचारियों की तनख्वाह और अन्य खर्चे) घटाकर जो पैसा बचाती है, उसे मुनाफा या फायदा कहते हैं। यह वही पैसा होता है जो कंपनी को असल में मिलता है।

– Net Profit (शुद्ध फायदा): जब कंपनी अपने सभी खर्चे, टैक्स और ब्याज घटाकर जो पैसा बचाती है, उसे शुद्ध मुनाफा (नेट प्रॉफिट) कहते हैं। यह कंपनी का अंतिम फायदा होता है।

– Net Worth (कुल संपत्ति): कंपनी के पास जो चीजें हैं (जैसे इमारतें, पैसा, मशीनें), उनमें से जो देना है (जैसे लोन या कर्ज) उसे घटाकर जो बचता है, उसे शुद्ध संपत्ति (नेट वर्थ) कहते हैं। यह कंपनी की असली दौलत होती है।

– EPS (प्रति शेयर कमाई): इसका मतलब है कि एक शेयर के लिए कितनी कमाई हुई। इसका फॉर्मूला है:

EPS = Net Profit / Total Shares

इससे पता चलता है कि जिन्होंने शेयर खरीदे हैं, उन्हें हर शेयर के बदले कितना फायदा हो रहा है।

 

3. Financial Ratios चेक करे:

अब आपने जान लिया कि कंपनी में कितना पैसा आ रहा है, कितना मुनाफा हो रहा है, और कंपनी की कुल संपत्ति कितनी है। ये सब जानकारी शेयर मार्केट में बहुत जरूरी है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी होते हैं रेश्यो। तो चलिए Financial Ratios के बारे में जानते हैं:

– (P/E) Ratio (प्राइस टू अर्निंग्स रेशियो): यह रेशियो बताता है कि कंपनी का शेयर प्राइस उसके हर शेयर पर होने वाली कमाई (Earnings per Share) के कितने गुना है। अगर P/E रेशियो ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि शेयर का प्राइस कंपनी के मुनाफे के हिसाब से ज्यादा है। इसका फॉर्मूला है:

P/E Ratio = Share Price / Earnings Per Share (EPS)

– Industry (P/E) Ratio: यह किसी विशेष उद्योग का औसत P/E रेशियो होता है। इसका उपयोग करके आप जान सकते हैं कि किसी कंपनी का P/E रेशियो उसकी इंडस्ट्री के औसत से ज्यादा है या कम। अगर कंपनी का P/E इंडस्ट्री P/E से ज्यादा है, तो यह बताता है कि बाजार उस कंपनी से ज्यादा ग्रोथ की उम्मीद कर रहा है। इसका फॉर्मूला है:

Industry P/E Ratio = Total Market Capitalization of Industry / Total Earnings of Industry

– (P/B) Ratio (प्राइस टू बुक रेशियो): यह रेशियो बताता है कि कंपनी का मार्केट प्राइस उसकी बुक वैल्यू के कितने गुना है। बुक वैल्यू कंपनी के पास मौजूद चीज़ों (assets) और उस पर चढ़े हुए कर्ज (liabilities) का अंतर होता है। इसका फॉर्मूला है:

P/B Ratio = Share Price / Book Value Per Share

इससे यह पता चलता है कि कंपनी की असली वैल्यू उसके असली सामानों के मुकाबले मार्केट में कितनी है।

– Current Ratio: यह रेशियो कंपनी की शॉर्ट-टर्म वित्तीय स्थिति को दिखाता है। यह बताता है कि कंपनी के पास अपनी मौजूदा जिम्मेदारियों (जो 1 साल के अंदर चुकानी हैं) को चुकाने के लिए कितनी संपत्तियाँ हैं। इसका फॉर्मूला है:

Current Ratio = Current Assets / Current Liabilities

अगर यह रेशियो 1 से ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि कंपनी अपनी शॉर्ट-टर्म जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए मजबूत है।

– ROE (Return on Equity / इक्विटी पर प्रतिफल): यह रेशियो बताता है कि कंपनी अपने शेयरधारकों के पैसे पर कितना मुनाफा कमा रही है। जितना ज्यादा ROE होगा, उतना ही शेयरधारकों के लिए फायदा होगा। इसका फॉर्मूला है:

ROE = Net Profit / Shareholders’ Equity

इससे पता चलता है कि कंपनी अपनी पूंजी का कितना अच्छा इस्तेमाल कर रही है।

 

4. Leadership कोन है:

अब आपको देखना है कि कंपनी का लीडर कौन है, यानी कंपनी को किस व्यक्ति ने शुरू किया था और इस समय कंपनी को कौन संभाल रहा है। आपको कंपनी के सीईओ को देखना है और उसके बारे में रिसर्च करनी है कि वह पहले क्या कर रहा था। क्या कंपनी में सीईओ बदले जा रहे हैं, यह सब जानकारी आपको कंपनी की ऑफिशल वेबसाइट में मिल जाएगी।

 

5. Debt (कंपनी का कर्ज):

Debt to Equity Ratio (D/E Ratio) यह बताता है कि किसी कंपनी का कर्ज (debts) और उसके शेयरधारकों का पैसा (equity) कितना है। जैसे अगर किसी के पास पैसे उधार हैं और उसके पास खुद के पैसे भी हैं, तो D/E Ratio बताता है कि वह अपने उधार को चुकाने के लिए अपने पैसे का कितना इस्तेमाल कर रहा है।

इसे समझने के लिए:

– कम D/E Ratio (0.1 – 0.5): इसका मतलब है कि कंपनी बहुत सुरक्षित है और अपने कर्ज को अच्छे से संभाल रही है।

मध्यम D/E Ratio (0.5 – 1.5): इसका मतलब है कि कंपनी ने थोड़ा कर्ज लिया है, लेकिन यह खतरे में नहीं है।

उच्च D/E Ratio (1.5 से ज्यादा): इसका मतलब है कि कंपनी के पास बहुत ज्यादा कर्ज है, जो जोखिम भरा हो सकता है।

तो, यह रेशियो हमें बताता है कि कंपनी अपने कर्ज को कैसे संभालती है।

 

6. Cash Flow चेक करे:

अब आपने कंपनी का कर्ज चेक कर लिया है, तो आपको यह देखना होगा कि कंपनी के पास कितना कैश फ्लो है। कैश फ्लो का मतलब होता है कि कंपनी के पास कितना पैसा बचा है।

अगर कंपनी के पास 1000 करोड़ का फ्री कैश फ्लो है, तो इसका मतलब साफ है कि कंपनी के पास अभी 1000 करोड़ रुपए पड़े हैं। कंपनी इस पैसे का इस्तेमाल अपने ग्रोथ के लिए कर सकती है, या अगर कंपनी ने कर्ज ले रखा है, तो उसे भी इस पैसे से चुका सकती है।

इसलिए, कैश फ्लो हर एक कंपनी का चेक करना चाहिए।

 

7. Dividend History चेक करे:

Dividend History का मतलब है कि कंपनी ने अपने शेयरधारकों को कब और कितना पैसा दिया। जब कंपनी अच्छे पैसे कमाती है, तो वह अपने हिस्सेदारों को कुछ पैसे देती है। इसे डिविडेंड कहते हैं।

डिविडेंड इतिहास बताता है कि कंपनी ने पिछले सालों में कितनी बार और कितना पैसा दिया। जैसे अगर कोई कंपनी हर साल पैसे देती है, तो यह अच्छा होता है। इससे पता चलता है कि कंपनी मजबूत है और अच्छा काम कर रही है। लोग इस जानकारी का उपयोग करके समझते हैं कि क्या कंपनी आगे भी पैसे देगी।

 

8. Competition चेक करे:

अब आपने कंपनी के बारे में समझ लिया है, उसके बाद आपको कंपनी के कंपटीशन को देखना है कि इस समय कंपनी का प्रतियोगी कौन है। क्या वह कंपनी से बड़ा है या छोटा है? क्या उसके कंपटीटर्स के पास ज्यादा रेवेन्यू और मुनाफा आ रहा है?

 

9. Annual Report चेक करे:

Annual Report एक किताब होती है जो एक कंपनी के बारे में साल भर की जानकारी देती है।

इसमें ये चीजें होती हैं:

1. पैसों का हिसाब: यह बताता है कि कंपनी ने कितने पैसे कमाए और कितने खर्च किए।

2. प्रबंधन की बातें: इसमें कंपनी के बड़े लोग बताते हैं कि उन्होंने इस साल क्या किया और अगले साल क्या योजना है।

3. कंपनी का काम: यह बताता है कि कंपनी क्या करती है और वह किस चीज में अच्छी है।

4. शेयरहोल्डर के लिए जानकारी: इसमें यह भी बताया जाता है कि शेयरहोल्डर को क्या मिला, जैसे पैसे या बोनस।

Annual Report से लोगों को पता चलता है कि कंपनी कितनी अच्छी तरह काम कर रही है और भविष्य में क्या हो सकता है।

 

10. Shareholders Patterns चेक करे:

Shareholder Patterns में कई तरह के लोग और कंपनियां होती हैं जो एक कंपनी के शेयर खरीदते हैं। यहाँ कुछ मुख्य प्रकार हैं:

1. प्रमोटर (Promoters):

प्रमोटर वे लोग होते हैं जिन्होंने कंपनी की स्थापना की होती है। वे कंपनी के मालिक या प्रमुख होते हैं और आमतौर पर उनके पास कंपनी के शेयरों का एक बड़ा हिस्सा होता है।

2. विदेशी संस्थान (Foreign Institutions):

ये विदेशी बैंक या निवेश फंड होते हैं जो भारतीय कंपनियों के शेयर खरीदते हैं। ये कंपनियों में निवेश करने के लिए बाहर से पैसे लाते हैं।

3. म्यूचुअल फंड (Mutual Funds):

म्यूचुअल फंड एक तरह की निवेश योजना होती है जिसमें कई लोग अपने पैसे मिलाकर एक फंड बनाते हैं। ये फंड उस पैसे से कई कंपनियों के शेयर खरीदते हैं। और इस फंड में जनता भी निवेश कर सकती है।

4. अन्य घरेलू संस्थान (Other Domestic Institutions):

ये भारतीय कंपनियाँ या संस्थाएं होती हैं जो शेयर बाजार में निवेश करती हैं। इनमें बीमा कंपनियाँ और पेंशन फंड शामिल हो सकते हैं।

5. रिटेल (Retail):

रिटेल शेयरधारक आम लोग होते हैं जो अपने पैसे से कुछ शेयर खरीदते हैं। ये छोटे निवेशक होते हैं जो सीधे शेयर बाजार में निवेश करते हैं।

ऊपर दिए गए अगर 1 से लेकर 4 तक के लोग अपना स्टेट बढ़ा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि कंपनी आने वाले समय में अच्छा रिटर्न देने वाली है।

और यदि रिटेल शेयरधारक अपना स्टेट बढ़ा रहे हैं जबकि 1 से 4 तक के लोग अपना स्टेट घटा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि कंपनी आने वाले समय में गिरने के चांसेस ज्यादा हैं।

यहाँ भी पढ़े: 2025 में सबसे सस्ता और अच्छा शेयर कौन सा है?

 

Conclusion:

अब आपको पता चल गया होगा कि किसी भी कंपनी का फंडामेंटल कैसे चेक करें। साथ में मैंने आपको बताया कि आप वेबसाइट से फंडामेंटल एनालिसिस कर सकते हैं। अगर आप किसी भी कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करते हैं, तो इससे आपको एक विश्वास होता है कि कंपनी आने वाले समय में अच्छा रिटर्न दे सकती है।

जो व्यक्ति ग्राफ देखकर निवेश करता है, उसे हर समय संदेह रहता है कि कंपनी ऊपर जाएगी या नीचे आएगी। क्योंकि अगर जरा सी भी गिरावट आती है, तो वह व्यक्ति उस शेयर को बेच देता है। इसी वजह से छोटे निवेशक पैसे नहीं कमा पाते हैं, जबकि बड़े निवेशक आसानी से फंडामेंटल एनालिसिस करके पैसे कमा लेते हैं।

Disclaimer:

यह ब्लॉग सिर्फ जानकारी देने के लिए है। इसमें बताए गए शेयरों में निवेश करने से पहले अपनी रिसर्च करें और किसी वित्तीय सलाहकार से सलाह लें। शेयर बाजार में निवेश जोखिमभरा हो सकता है, और इसमें नुकसान भी हो सकता है। इस ब्लॉग में दी गई जानकारी के आधार पर हुए किसी भी लाभ या हानि के लिए लेखक या ब्लॉग ज़िम्मेदार नहीं है। समझदारी से निवेश करें।

 

FAQs About कंपनी का फंडामेंटल कैसे चेक करें:

 

स्टॉक का फंडामेंटल कैसे चेक करें?

यदि आप स्टॉक के फंडामेंटल चेक करना चाहते हैं, तो इसके लिए आप Screener या Moneycontrol जैसी वेबसाइट पर जाकर स्टॉक के फंडामेंटल आसानी से देख सकते हैं।

किसी भी कंपनी का वैल्यूएशन कैसे पता करें?

किसी भी कंपनी का वैल्यूएशन पता करने के लिए आपको कंपनी के मार्केट कैप और नेट वर्थ को चेक करना चाहिए।

किसी कंपनी का एनालिसिस कैसे करें?

किसी भी कंपनी का एनालिसिस करने के लिए आप Moneycontrol, Screener या Tickertape जैसे प्लेटफार्म का इस्तेमाल करके कंपनी का एनालिसिस कर सकते हैं।

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